रिश्ता |
- Shardul Tamane
- Jun 16, 2019
- 1 min read
Updated: Aug 18, 2024
तुम जाओगे मैंने कहा था, में रुकूंगा तुमने समझाया था । तुम्हारा ये दृढ़ निश्चय देख, मन मेरा हरशाया था ।। पर आखिर समय की कसौटी पर, समय ने तुमको भी हराया था । तुम दुख दोगे ऐसा लगा तो न था तुम हमे भूल जाओगे ऐसा लगा तो न था । तुम्हारी दोस्ती का रूह पर ऐसा नशा चढ़ा था की तुमसे नाराज़ होने को राज़ी ,मन अब भी नहीं था ।। मैंने सोचा ये तो होना ही था, तुम जाओगे मैंने तो कहा ही था । पर, पर तुम लौट आए ,क्युकी मै रुकूंगा ये तुमने कहा था ।। अब सवाल ये आय, की इस कहानी में , मै सही हूं या वो । वो चले भी गए और वो लौट के भी आया । उसने इस मन को दुखाया, तो उसिने हर्षाया । कौन सही, कौन गलत क्या वाकई इस बात का मोल है ? ये उतार चढ़ाव तो हर रिश्ते की ताकत है । कभी मै तो कभी वो सही होगा । महत्व तो हमेशा कहानी के परिणाम का होगा ।। मुझे अपने साथी मिल गए, दोस्त मिल गए । दोषी कोई भी हो, हम तो एक नए पड़ाव पर आके थम गए ।।




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