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अग्निपरीक्षा

Updated: Aug 18, 2024

रामचंद्र की पत्नी वो, अयोध्यानाथ संगिनी वो , भूदेवी की पुत्री वो । श्रीराम की प्रतिभा का प्रमाण वो, शिवधनुश के अस्तित्व का कारण वो ।। पवित्रता की मूरत वो, आदर्षता की आदर्श वो, स्वाभिमान से उठे, ऐसे कुल की लाज वो । भय से भी ना डरे, ऐसी निर्भीक प्रवृत्ति वो, गर्व हो सभी को जिसपर ऐसी अखंडता की मिसाल वो ।। जिसने अग्नि स्नान किया ,ऐसे पतिव्रता की सीमा वो, विरह में भी संकल्प साधा, ऐसे शोर्य की गाथा वो । प्रश्न मुक्त हो, स्वीकार किया ऐसे समर्पण की मशाल वो, गर्भवती अवस्था में जिसने कष्ट सहे, ऐसे संघर्ष का मुकाम वो ।। घोर चूक के बाद भी, जिसने क्षमा किया ऐसी उदारता की कहानी वो । अपने प्राणप्रिए रत्नों को अयोध्या को सौंप दिया, एक महारानी की ऐसी ,महानता वो ।। एक महारानी की ऐसी, महानता वो… गर्व है ऐसी नारी पर जो प्रेम समर्पण व पतिव्रता की सारी हदें तोड़ देती है । मान मर्यादा प्रतिष्ठा हेतु, स्वयं के अस्तित्व तक को छोड़ देती है ।। मां सीता के बलिदान को, यह जगत कभी भुला नहीं पाएगा । किन्तु सच्चा प्रेम क्या होता है, अब ये शायद ही कोई जान पाएगा ।।

SITA


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