MAHABHARAT
- Shardul Tamane
- Mar 25, 2019
- 2 min read
Updated: Aug 18, 2024
महाभारत कहानी है अगणित ज्ञान और सीखों की | यह है साक्षी पुरखों के स्वार्थ और परमार्थ की || महत्वाकांक्षा और बलिदान से जुडी यह अनूठी कहानी | छल कपट षड्यंत्र के बीच धर्मं की शक्ती है दिखलाती || सत्यवती की लोभ लालसा ने हस्तिनापुर का भविष्य उजाडा | महामहिम भीष्म के पितृ प्रेम ने उन्हें स्वयं विष का घट पिलाया || गांधारी के त्याग, धृतराष्ट्र के अंधे प्रेम का प्रतिफल है | अपने पुत्रो को पलने प्रदान किया शकुनी का आंचल है || त्याग को अन्याय समझ, शकुनी ने प्रतिशोध की ज्वाला सुलगाई | कुरु वंश में फूट पाडकर, कपटी मन की चाल चलायी|| नफरत का विष पी कर भ्रष्ट हुआ कौरवों का धर्मं, सत्य, सदाचार | पांडवों के ह्रदय पर था, माता के संस्कारों हा अडिग अखंड अम्बार || पांच पांडवो से विवाह कर बनी अद्भूत बलिदानी द्रुपद कन्या | हस्तिनापुर हुआ विभाजित, खीच गई शत्रुता की रेखा || पीड़ित द्रौपदी की चीख-पुकार जब कोई सुन न पाया | सखा कृष्ण ने की सहायता, अखंडित रखी सखी की मर्यादा || अधर्म-लोभ-घमंड में डूबे मन ने जब शांती का प्रस्ताव ठुकराया | पांचजन्य के भैरव स्वर ने बर्बर मृत्यु तांडव का भविष्य दिखलाया || कुरुक्षेत्र की भूमी पर दिया भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान | सफल जीवन का भेद बताकर, मानवता का किया कल्याण || धर्मक्षेत्र पर लड़ते-लड़ते अनेको ने स्वर्ग को प्राप्त किया है | महारथियों का छल से, धर्मं से, स्वयं श्रीकृष्ण ने संहार किया है || धर्मस्थापना के महायज्ञ में अगणित जीवन आहूत हुए है | महामहिम भीष्म, गुरु द्रोण, और कर्ण ने अधर्म के लिए लड़ते-लड़ते अपने देह त्याग दीऐ है || द्रौपदी के खुले केश सजे दु:शासन की छाती के रक्त से | दुर्योधन की जंघा टूटी, भीम के अधर्म प्रहार से || जब धर्मं स्थापना की आग पूराकर बैठे युधिष्ठिर सिंहासन पे | विश्व गगन में जगमगा उठा, भारत प्रखर सम्मान से || अगणित लोगों के जीवन का ज्वार बनी महाभारत की ये गाथा | स्मरण रहे यह सदा:- अति का भला न लोभ न भला बलिदान नारी की जब लाज लुटेगी,महाभारत की कहानी | स्वयं को पुनह-पुनह दोहराएगी ||




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